कुछ भी तो नहीं
कुछ भी तो नहीं ठीक-से हुआ
न बचपना , न समझदारी
न दोस्ती , न दुश्मनी
न प्रेम , न परिवार
न तंदरुस्ती , न बीमारी
न हँसना , न रोना
न नींद , न जागना
न रेंगना , न तनकर खड़े रह पाना
--- कविता भी नहीं
न कामदी हुआ , न त्रासदी
ठीक-से जीवन
इसीलिए डरता हूँ ---
ठीक -से मरूँगा तो न ?
n -- नंदकिशोर आचार्य